पाउडर किए हुए विग्स का उदय, साम्राज्य और पतन: एक अनोखी यात्रा

By UNKNOWN - 03/06/2025 - 0 comments

पाउडर किए हुए विग्स का उदय, साम्राज्य और पतन: एक अनोखी यात्रा

18वीं सदी के मध्य से लेकर अंत तक, पाउडर किए हुए विग्स यानी झूठे बाल केवल फैशन का हिस्सा नहीं थे, बल्कि समाज में स्टेटस और पावर का प्रतीक थे। मगर 1800 के बाद अचानक से ये फैशन गायब हो गया। आइए जानते हैं कि कैसे विग्स ने इतिहास के पन्नों में अपना स्थान बनाया और क्यों अचानक इसकी चमक फीकी पड़ गई।

विग्स की शुरुआत: फैशन या मजबूरी?

17वीं सदी में फैशन के लिए हेयरलाइन बहुत मायने रखती थी। अच्छे बाल होना सामाजिक प्रतिष्ठा की निशानी था। लेकिन यूरोप में सिफलिस नामक रोग ने तबाही मचाई, जो बाल झड़ने का एक बड़ा कारण था। इस बीमारी के चलते लोगों के बाल झड़ने लगे और चेहरे पर घाव हो गए। ऐसे में झूठे बाल यानी विग्स का चलन बढ़ा, जो लोगों की शर्म और बीमारी छुपाने का जरिया बन गए।

फ्रांस के राजा लुई XIV ने तो 48 विगमेकर्स रखे थे ताकि अपने झड़ते बालों को छुपा सकें। इसी के साथ विग फैशन की शुरुआत हुई और धीरे-धीरे यह यूरोप के हर दरबारी वर्ग में फैल गया। इंग्लैंड के राजा चार्ल्स II ने भी विग पहनना शुरू किया, जिससे यह फैशन और मजबूत हुआ।

विग्स बन गए संपत्ति और पावर का निशान

पेर्यूक, यानी विग्स, देखभाल में आसान थे और सामाजिक वर्ग को दिखाने का तरीका भी। आम आदमी के लिए एक विग की कीमत उनकी एक हफ्ते की कमाई के बराबर होती थी। ब्रिटिश कुलीन वर्ग तो हजारों शिलिंग खर्च करके आलीशान विग्स बनवाते थे। इसी दौर से ‘Bigwig’ शब्द अस्तित्व में आया, जिसका मतलब है बड़ा अधिकारी या उच्च पदाधिकारी।

यह विग्स सिर्फ पुरुषों तक सीमित नहीं थे। फ्रांस में तो महिलाएं भी बेहद बड़े और रंग-बिरंगे विग पहनती थीं। मैरी एंटोइनट जैसे रानी के विग इतने विशाल और जटिल होते थे कि उन्हें सजाने में कई घंटे लगते थे।

अमेरिका और विग्स: एक अलग कहानी

अमेरिका की क्रांति के दौरान विग्स का चलन धीमा पड़ गया। अमेरिकी राष्ट्रपिता जॉर्ज वाशिंगटन ने कभी विग नहीं पहना, बल्कि अपने लाल बालों को सफेद पाउडर से रंगा। यह पाउडर बालों को सफेद दिखाने और ठाठ-बाट दिखाने का तरीका था। उनके बाद के कुछ राष्ट्रपति विग पहनते थे, लेकिन जैसे-जैसे क्रांति ने पुराने राजशाही सिस्टम को चुनौती दी, विग्स को भी अपवाद माना जाने लगा।

सैन्य में विग्स का उपयोग और उनकी अनोखी भूमिका

ब्रिटिश सेना के उच्च अधिकारियों ने विशेष प्रकार के सैन्य विग्स पहने, जिन्हें ‘Ramillies wig’ कहा जाता था। ये छोटे, पिगटेल जैसे होते थे और असली बाल या नकली बालों से बनाए जाते थे। जबकि आम सैनिक अपने बालों को प्लीट करते या कंबल में छुपा लेते थे। सैनिकों के लिए भारी और गर्म विग्स पहनना असुविधाजनक था, इसलिए वे आम तौर पर विग नहीं पहनते थे।

विग्स का पतन: बदलाव का दौर

18वीं सदी के अंत में विग्स का फैशन तेजी से खत्म होने लगा। यह बदलाव मुख्य रूप से सामाजिक और आर्थिक कारणों से हुआ। ज्ञानोदय काल में लोगों ने सादगी और स्वाभाविकता को महत्व देना शुरू किया। बड़े, भारी और महंगे विग्स को दिखावा माना गया।

फ्रांसीसी क्रांति में विग्स को शाही अत्याचार और अमीरों की पहचान माना गया। ब्रिटेन में 1795 में ‘हेयर पाउडर एक्ट’ लागू हुआ, जिसने विग्स के लिए पाउडर खरीदने पर टैक्स लगाया। इससे विग्स की लोकप्रियता में और गिरावट आई।

इसके अलावा, विग्स को धोखाधड़ी और छुपे हुए रहस्यों का प्रतीक भी माना जाने लगा। लोग सोचने लगे कि जो विग पहनता है, वह अपनी असली पहचान और कमियों को छुपा रहा है।

विग्स का आधुनिक युग में अस्तित्व

आज विग्स केवल कोर्ट रूम और औपचारिक अवसरों तक सीमित रह गए हैं। ब्रिटिश जज और वकील आज भी परंपरा के तहत विग पहनते हैं, लेकिन यह केवल सांस्कृतिक प्रतीक है।

फैशन की दुनिया में विग्स की वापसी की उम्मीद कभी खत्म नहीं होती। खासकर Gen Z और युवा लोग रेट्रो और विंटेज ट्रेंड्स को लेकर काफी उत्साहित हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे TikTok और Instagram पर विग्स को नए रंग, डिज़ाइन और स्टाइल में पहना जा रहा है। यह युवाओं के लिए न केवल फैशन स्टेटमेंट बन गया है, बल्कि पहचान और आत्म-अभिव्यक्ति का जरिया भी।

क्या विग्स फिर से लौटेंगे?

फैशन का चक्र चलता रहता है। कभी छोटे और प्राकृतिक बाल ट्रेंड में आते हैं, तो कभी बड़े, भव्य विग्स। Gen Z के क्रिएटिव और एक्सपेरिमेंटल नजरिए से विग्स की वापसी संभव है। खासकर जब विग्स को फैशन के साथ-साथ एक कला और संस्कृति के रूप में देखा जा रहा है।

तो, हो सकता है कि भविष्य में पाउडर किए हुए विग्स फिर से छाए और पुराने जमाने की भव्यता नए रंग-रूप में जीवित हो।


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